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एक ऊँगली कट जाने के बाद भी पार्थिव पटेल ने नहीं मनाई हार, जाने पार्थिव पटेल की कहानी

पार्थिव पटेल भारत के सबसे मेहनती और जुझारू खिलाडियों में से एक है जहाँ उन्होंने अपने समय में मेहनत कर के सभी को काफी ज्यादा इम्प्रेस किया है।

उनके इस राह में काफी सारी कठिनाई आई थी जहाँ उन्होंने उनका बकुबी सामना किया और आगे बढ़ते रहे है। इसी कारण लोग उन्हें काफी ज्यादा पसंद करते है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की बचपन में ही  पार्थिव पटेल की एक  ऊँगली कट गयी थी और उन्हें कीपिंग करने में काफी ज्यादा कठिनाई होती थी और एक ऊँगली के बिना कर पाना काफी कठीण काम है।

इसके बाद भी पटेल ने हार नही माना जहाँ वो इसके साथ और लगातार अभ्यास करते रहे और अपनी इस कमी को इस खेल के बीच नही आने दिया और खुद को एक कमाल का विकेटकीपर बना के माना।

उनके शुरुआती जीवन के बारे में बात की जाए तो उनका जन्म 9 मार्च 1985 को गुजरात के लोकप्रिय शहर भावनगर में हुआ था जहाँ बिजनेस का काफी  ज्यादा शौक है।

उन्होंने अपने शुरूआती जीवन की पढाई भावनगर से ही की है जहाँ  शुरू से ही उनका क्रिकेट में काफी ज्यादा मन लगता था और वही से उन्होंने क्रिकेट खेलना भी शुरू किया।

वो गुजरात की टीम से ही डोमेस्टिक क्रिकेट खेला करते है जहाँ उन्होंने गुजरात की टीम के तरफ से काफी सारे मुकाबले खेले है  जहाँ वो काफी अच्छा प्रदर्शन करते है।

उन्होंने रणजी ट्राफी  2016-17 के सीजन में गुजरात ककी टीम की कप्तानी की थी जहाँ उनकी कप्तानी में गुजरात ये खिताब जीत पाई। फाइनल में मुंबई के खिलाफ 90 और 143 रन बनाकर उन्होंने गुजरात को पहला खिताब जिताया था।

इसी जीत  के साथ गुजरात और पार्थिव पटेल ने एक इतिहास रचा रहा जहाँ सरे प्रमुख डोमेस्टिक टूर्नामेंट जीतने वाले गुजरात पहली टीम वही पार्थिव पटेल पहले कप्तान बने थे।

पार्थिव पटेल के इंटरनेशनल कैरियर की बात की जाए तो उन्होंने साल 2002 में इंग्लैंड के खिलाड़ अपना टेस्ट डेब्यू किया था जहाँ वो टेस्ट क्रिकेट के सबसे युवा विकेटकीपर बल्लेब्नाज़ बन गए थे।

इसके बाद पार्थिव पटेल ने वनडे फॉर्मेट में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ अपना डेब्यू  जनवरी 2003 में किया था जहाँ इसके आड़ उन्हें आईसीसी2003 के विश्वकप में भी चुना गया था।

उनके कैरियर के बारे में बात की जाए  तो उन्होंने कुल 25 टेस्ट मुकाबले खेले है जिसमे उन्होंने 934  रन बनाये है। इसी के साथ उन्होने 38 वनडे में 736 रन बनाये थे।